सारांश
सिद्ध साहित्य: स्वरूप और सन्दर्भ पुस्तक मध्यकालीन भारतीय साधना परंपरा से जुड़े सिद्धों के काव्य-साहित्य की अंत:वस्तु, भाषा और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का आलोचनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत करती है। इसमें सिद्धों की बौद्ध तंत्र-साधना, सामाजिक दृष्टिकोण और उनके लोकधर्मी स्वरूप को विशेष रूप से रेखांकित किया गया है। यह ग्रंथ हिन्दी साहित्य के विकासक्रम में सिद्ध काव्य की ऐतिहासिक और दार्शनिक भूमिका को उजागर करता है।